ancient India

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अशोक का शासन: एक आलोचनात्मक मूल्यांकन

महान अशोक का शासन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उनका शासन शांति और धार्मिक नीति के लिए प्रसिद्ध था। हालांकि, ‘अशोक का शासन: एक आलोचनात्मक मूल्यांकन‘ करने पर यह स्पष्ट होता है कि उनके फैसलों के दीर्घकालिक परिणामों को पूरी तरह से समझना आवश्यक है।   अशोक: भारतीय इतिहास के महान सम्राट    […]

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अशोक का धम्म: मौर्य सम्राट का शांति और धर्म का प्रचार

  प्राचीन भारतीय इतिहास में सम्राट अशोक का नाम एक प्रेरणा के रूप में लिया जाता है। जैसे किसी साहित्यिक काव्य में नायक की यात्रा संघर्ष से शांति की ओर होती है, ठीक वैसे ही अशोक का जीवन भी एक महान परिवर्तन की कहानी है। युद्ध के मैदान में विजय प्राप्त करने के बाद, उन्होंने

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अशोक का जीवन, कलिंग युद्ध, बौद्ध धर्म में परिवर्तन और धार्मिक नीति

अशोक ‘प्रियदर्शी’ (273-236 ईसा पूर्व)    बिन्दुसार की मृत्यु के बाद उसका योग्य पुत्र अशोक मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। अशोक ने अपने शासन से भारतीय इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। वह न केवल एक महान सम्राट था, बल्कि उसकी छवि भी इतिहास में एक आदर्श के रूप में सामने आई। उनके शासनकाल

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कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’ और मौर्य काल की राजनीति

कौटिल्य और उनका ‘अर्थशास्त्र’: मौर्य काल की राजनीति और शासन    कौटिल्य, जिन्हें विष्णुगुप्त और चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास के महानतम विद्वानों में से एक थे। पुराणो में उसे “द्विजर्षभ” (श्रेष्ठ ब्राह्मण) कहा गया है। चन्द्रगुप्त मौर्य के सम्राट बनने के पीछे उनका महत्वपूर्ण योगदान था। वे तक्षशिला के

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मेगस्थनीज और इण्डिका: मौर्यकाल का समाज और प्रशासन

मेगस्थनीज और उसकी इण्डिका    मेगस्थनीज एक यूनानी राजदूत था, जिसे सेल्युकस ‘निकेटर’ ने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था। मेगस्थनीज भारत आने से पहले आरकोरिया के क्षत्रप के दरबार में भी सेल्युकस का राजदूत रह चुका था। अनुमान है कि वह ईसा पूर्व 304 से 299 के बीच पाटलिपुत्र में चन्द्रगुप्त मौर्य की

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