ancient India

कलिंग के शासक खारवेल: सैन्य विजय, प्रशासनिक सुधार और सांस्कृतिक धरोहर

हाथीगुम्फा गुफा, उदयगिरि और खंडगिरि गुफाओं में से एक   खारवेल प्राचीन भारत के एक महान शासक थे, जो लगभग 1st सदी ईसा पूर्व में कलिंग (आधुनिक ओडिशा) के सम्राट थे। खारवेल महापद्म नंद वंश के बाद कलिंग की सत्ता में आए और उनके शासनकाल को उनके सैन्य अभियानों, धार्मिक संरक्षण, और वास्तुकला के लिए […]

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1991 का आर्थिक संकट और 1991 के आर्थिक सुधार: भारत की अर्थव्यवस्था का टर्निंग पॉइंट

1991 का आर्थिक संकट: भारत की अर्थव्यवस्था का निर्णायक मोड़ भारत के आर्थिक इतिहास में 1991 का आर्थिक संकट एक ऐसा मोड़ था जिसने न केवल देश की वित्तीय स्थिरता को हिला दिया बल्कि भविष्य की दिशा भी तय कर दी। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग ख़त्म हो चुके थे, महंगाई बेकाबू थी और सरकार के

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भारतीय साम्यवाद का इतिहास: संघर्ष, विभाजन और वर्तमान चुनौतियाँ

“1920: एम. एन. रॉय (केंद्र में, काले टाई में) व्लादिमीर लेनिन (बाएं) और मैक्सिम गोर्की (लेनिन के पीछे) के साथ। रॉय के मार्गदर्शन में अक्टूबर 1920 में सोवियत ताशकंद में एक प्रवासी कम्युनिस्ट पार्टी का उदय हुआ।” भारत में साम्यवाद का इतिहास  साम्यवाद की उत्पत्ति 19वीं सदी में हुई, जब औद्योगिक क्रांति के दौरान समाज

पानीपत का तीसरा युद्ध की पेंटिंग जिसमें मराठा और अहमद शाह अब्दाली की सेनाएं लड़ रही हैं।
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पानीपत का तीसरा युद्ध 1761: कारण, परिणाम और ऐतिहासिक प्रभाव

पानीपत का तीसरा युद्ध: भारतीय इतिहास का निर्णायक मोड़   पानीपत का तीसरा युद्ध (14 जनवरी 1761) भारतीय इतिहास की सबसे निर्णायक घटनाओं में से एक था। यह संघर्ष न केवल मराठा साम्राज्य और अहमद शाह अब्दाली के नेतृत्व वाले अफगान आक्रमणकारियों के बीच की लड़ाई थी, बल्कि यह उस समय की राजनीतिक, सामाजिक, और

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आधी रात की आजादी: एक नए युग की शुरुआत

14-15 अगस्त मध्य रात्रि को सत्ता हस्तांतरण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने एक निर्णायक मोड़ लिया। ब्रिटेन की युद्ध के बाद की आर्थिक और सैन्य स्थिति कमजोर हो गई थी, जिससे वह अपने उपनिवेशों पर नियंत्रण बनाए रखने में असमर्थ हो गया। इस समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में तेजी आई और

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