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भारत में महिला सशक्तिकरण का इतिहास दर्शाने वाली प्रतीकात्मक छवि, जिसमें प्राचीन विदुषी, मध्यकालीन रानी, स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारतीय महिला की छवि दिखाई गई है।
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भारत में महिला सशक्तिकरण का इतिहास: प्राचीन काल से 21वीं सदी तक की यात्रा

  भारत में महिला सशक्तिकरण का इतिहास विविध और समृद्ध है, जो सदियों से बदलते सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक संदर्भों के साथ विकसित हुआ है। प्रारंभिक काल में, भारतीय महिलाओं को समाज में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था, और वे शैक्षणिक, धार्मिक, और आर्थिक क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाती थीं। समय के साथ, इन अधिकारों और […]

भारत में पर्यावरण आंदोलन का प्रतीक – ग्रामीण महिलाएँ पेड़ों को गले लगाती हुईं, पीछे जंगल और प्रदूषण का दृश्य
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भारत में पर्यावरण आंदोलन का इतिहास: चिपको से लेकर आधुनिक जलवायु संघर्ष तक

  भारत में पर्यावरण आंदोलन का इतिहास और महत्व   भारत में पर्यावरण आंदोलन का इतिहास गहराई और विविधता से भरा हुआ है, जिसमें जमीनी स्तर की सक्रियता, सरकारी हस्तक्षेप, न्यायिक भागीदारी, और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रभाव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह आंदोलन दशकों से विकसित हुआ है, जिसमें वनों की कटाई, प्रदूषण, और

वाल्टर सोम्ब्रे और बेगम समरू अपने दरबार में ।
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बेगम समरू: दिल्ली की नर्तकी से साम्राज्ञी बनने तक की रोमांचक यात्रा

  क्या आप जानते हैं कि 18वीं शताब्दी की दिल्ली में एक नर्तकी कैसे बनी भारत की सबसे शक्तिशाली और रहस्यमयी रानी? जी हां, हम बात कर रहे हैं बेगम समरू की, फरजाना ज़ेब उन-निसा से जोआना तक की उस अद्भुत यात्रा की, जहां नृत्य की लय से निकलकर उन्होंने तलवार की धार पकड़ी और

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भारतीय इमरजेंसी 1975: कारण, प्रभाव और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  इमरजेंसी – भारतीय लोकतंत्र का कठिन समय भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का समय एक काला अध्याय माना जाता है। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी (आपातकाल) की घोषणा की। यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं था, बल्कि इसके पीछे कई

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मंडल आयोग और V.P. सिंह का ऐतिहासिक निर्णय: OBC आरक्षण का प्रभाव

मंडल आयोग का गठन: ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भ मंडल आयोग का गठन  1 जनवरी 1979 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार द्वारा हुआ था। इसका उद्देश्य भारतीय समाज में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBCs) की पहचान करना और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय सुझाना था।  भारत में आजादी

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