Author name: Vivek Singh

I am Vivek Singh, a mechanical engineer with a profound passion for Indian history. Although my professional background is in engineering, I have always been deeply fascinated by the rich and diverse history of India. Over the years, I have collected numerous books and dedicated myself to studying the cultural, political, economical and social transformations that have shaped the subcontinent. Through my blog, I aim to share the insights and stories I've uncovered, offering a unique perspective that blends my analytical mindset as an engineer with my love for history.

Medieval India

मुगल साम्राज्य में शाहजहां के उत्तराधिकार का संघर्ष: औरंगजेब की सत्ता की राह, दारा शिकोह की पराजय, और शहजादियों की भूमिकाएं

समुगढ़ का युद्ध (1658) औरंगजेब की पृष्ठभूमि और शाहजहां के उत्तराधिकार का संघर्ष औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को शाहजहां और मुमताज महल के पुत्र के रूप में हुआ था। बचपन से ही औरंगजेब ने इस्लामी शिक्षा में गहरी रुचि दिखाई और उन्हें शरीयत के कठोर अनुयायी के रूप में जाना जाता था। उनके […]

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भारतीय इमरजेंसी 1975: कारण, प्रभाव और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  इमरजेंसी – भारतीय लोकतंत्र का कठिन समय भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का समय एक काला अध्याय माना जाता है। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी (आपातकाल) की घोषणा की। यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं था, बल्कि इसके पीछे कई

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मंडल आयोग और V.P. सिंह का ऐतिहासिक निर्णय: OBC आरक्षण का प्रभाव

मंडल आयोग का गठन: ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भ मंडल आयोग का गठन  1 जनवरी 1979 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार द्वारा हुआ था। इसका उद्देश्य भारतीय समाज में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBCs) की पहचान करना और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय सुझाना था।  भारत में आजादी

Medieval India

हुमायूँ की जीवनी: संघर्ष, निर्वासन, और सत्ता की पुनः प्राप्ति की कहानी

नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ                         प्रारंभिक जीवन और सत्ता की चुनौतियाँ नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ का जन्म 6 मार्च 1508 को काबुल में हुआ था। वह बाबर के चार पुत्रों में सबसे बड़ा था। बाबर ने अपनी मृत्यु से पहले हुमायूँ को अपना उत्तराधिकारी बनाया। 1530 में,

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सावरकर: वीर या माफ़ीवीर

  विनायक दामोदर सावरकर               “हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी,जिसको देखना, कई बार देखना।”-निदा फ़ाज़ली विनायक दामोदर सावरकर इस नाम का जितना जिक्र होता है, उससे उसके उतने पहलू नजर आते हैं। एक हिस्से में वह एक महान क्रांतिकारी है, जिसमें अंग्रेज के खिलाफ आवाज उठाई

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