Author name: vivek singh

I am Vivek Singh, a mechanical engineer with a profound passion for Indian history. Although my professional background is in engineering, I have always been deeply fascinated by the rich and diverse history of India. Over the years, I have collected numerous books and dedicated myself to studying the cultural, political, and social transformations that have shaped the subcontinent. Through my blog, I aim to share the insights and stories I've uncovered, offering a unique perspective that blends my analytical mindset as an engineer with my love for history.

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दिल्ली सल्तनत का आंतरिक पुनर्गठन: खिलजी क्रांति और शासक वर्ग के परिवर्तन

  दिल्ली सल्तनत का आंतरिक पुनर्गठन: खिलजी क्रांति और शासक वर्ग का परिवर्तन    दिल्ली सल्तनत के इतिहास में खिलजी शासन (1290-1320) एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस दौरान, शासक वर्ग, प्रशासन और समाज में बड़े बदलाव हुए। खिलजी क्रांति ने न केवल राजनीतिक ढांचे को बदला, बल्कि सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को भी प्रभावित किया। […]

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ईस्ट इंडिया कंपनी: प्रशासनिक संरचना और नीतियों में परिवर्तन

  ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में न केवल व्यापारिक बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक शक्ति भी हासिल की। 17वीं शताब्दी से लेकर 1858 तक, कंपनी ने भारत की प्रशासनिक संरचना और नीतियों में व्यापक परिवर्तन किए। यह बदलाव न केवल भारतीय शासन प्रणाली को प्रभावित किया बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य के हितों को भी साधने का

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ब्रिटिश शासन में भारतीय कृषि संरचना और भूमि राजस्व प्रणाली में बदलाव

  ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय कृषि संरचना और भूमि राजस्व प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, जो भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालते थे। भूमि काश्तकारी की नई प्रणालियाँ, जैसे स्थायी जमींदारी, महालवाड़ी और रैयतवाड़ी, किसानों और ग्रामीणों के जीवन में बड़े परिवर्तनों का कारण बनीं। इन नीतियों ने न केवल कृषि

Portrait of Lord Dalhousie, Governor-General of India, British colonial ruler.
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डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स: ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और भारतीय राज्यों के विलय की नीति

डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स – ‘शांति’ के माध्यम से विलय    लॉर्ड डलहौजी का डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स (व्यपगत का सिद्धांत) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद सिद्धांत रहा है। इस सिद्धांत के माध्यम से, ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत के कई राज्यों को अपने अधीन कर लिया। यह सिद्धांत ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार में एक महत्वपूर्ण

Map showing the territorial extent of the Kanyv dynasty in ancient India, highlighting regions ruled by Kanyv kings.
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कण्व वंश का इतिहास: भारतीय समाज पर इसका प्रभाव और योगदान

कण्व वंश का इतिहास: एक अनजानी परंपरा    कण्व वंश भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण लेकिन कम जाना गया राजवंश था। इस वंश की स्थापना वसुदेव ने की थी, जिन्होंने शुंग वंश के अंतिम राजा देवभूति को मारकर सत्ता पर कब्जा किया। यह वंश लगभग 75 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में

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शुंगकालीन संस्कृति: सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और कलात्मक दृष्टिकोण

  शुंगकालीन संस्कृति: इतिहास, धर्म, और समाज पर प्रभाव    शुंग राजाओं का शासन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण था। उन्होंने मगध साम्राज्य के मध्य भाग को विदेशी हमलों से बचाया। इस तरह, मध्य भारत में शांति और व्यवस्था स्थापित की गई। इसके साथ ही, उन्होंने मौर्य साम्राज्य के पतन के आई विकेंद्रीकरण की प्रवृत्ति

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पुष्यमित्र शुंग और शुंग वंश का इतिहास: उत्पत्ति, शासन और पतन

  पुष्यमित्र शुंग भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण शासक थे, जिन्होंने मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना की। उनकी इस साहसिक क्रांति ने भारतीय राजनीति के दिशा-निर्देश को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद शुंग वंश ने न केवल भारत की रक्षा की, बल्कि वैदिक धर्म

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बलबन का युग: प्रशासनिक सुधार और सैन्य शक्ति

  बलबन का युग (1246-87): दिल्ली सल्तनत का स्वर्णिम दौर    हालांकि बलबन ने 1266 में दिल्ली के सिंहासन पर कदम रखा, लेकिन 1246 से 1287 तक का समय वास्तव में बलबन का युग माना जाता है। इस दौरान, दिल्ली में उनका प्रभाव और उनकी शक्ति दिन-ब-दिन बढ़ी। उनका योगदान दिल्ली सल्तनत की राजनीति और

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रज़िया सुलतान का उत्थान और पतन: दिल्ली सल्तनत में तुर्की कुलीनों का संघर्ष

दिल्ली सल्तनत के इतिहास में 1236 से 1290 तक के समय को एक महत्वपूर्ण अवधि माना जाता है, जब एक सशक्त और केंद्रीकृत राजतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष हो रहा था। इस समय दिल्ली में राजनीतिक अस्थिरता और तुर्की कुलीनों के बीच गुटबाजी के कारण सत्ता के लिए संघर्ष और विद्रोहों का दौर था।

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कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत की स्थापना

दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक के नेतृत्व में हुई थी, जो भारत में तुर्की शासन की नींव रखने वाले पहले शासक बने। उनके बाद इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत को सुदृढ़ किया और इसे एक संगठित और शक्तिशाली राज्य में बदल दिया। इस लेख में हम कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश के शासनकाल की

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